*ये आश्वासन बरसने का ( 6 शेर)*
ये आश्वासन बरसने का ( 6 शेर)
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(1)
हमें बादल तुम्हारी आदतें अच्छी नहीं लगतीं
ये आश्वासन बरसने का कहाँ से सीख कर आए
(2)
बिना बरसे यह बादल जो सुबह से शाम तक आए
सुहाना हो गया मौसम है इनके सिर्फ आने से
(3)
उमड़कर आए थे बादल, बरसकर हो गए खाली
खुला आकाश नीला अब बहुत निश्चिन्त दिखता है
(4)
यह अन्तर पीढ़ियों का है, जो सबने इस तरह देखा
है सिर पर सास के पल्लू, तो बहुऍं बिन दुपट्टे के
(5)
उमर पचपन की है लेकिन, उन्हें आन्टी न कहिएगा
बुरा वो मान जाऍंगी, बहुत ही खूबसूरत हैं
(6)
यह घर तो ईंट-पत्थर की बहुत गुमसुम इमारत है
यहाँ साँसे महकती हैं, तुम्हारे साथ रहने से
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451