यूं ही नहीं होते हैं ये ख्वाब पूरे,
यूं ही नहीं होते हैं ये ख्वाब पूरे,
अंधेरों में दिया सा जलना पड़ता है।
डरता हैं ये जहां जिन रास्तों से,
उन रास्तों पे चलना पड़ता है।
करो कितनी ही दुआएं,
कोई फरिश्ता नहीं आता।
ख़ुद तपा कर आग में खुद को
किस्मत को खुद ही बदलना पड़ता है।।