यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
भटकूं ज़रा तो, लेते थाम हाथ कृष्ण हैं
आज़ाद को बरबाद, बहुत करना चाहते
कोई मेरा क्या करले, मेरे साथ कृष्ण है
कवि आजाद मंडौरी
यूं साया बनके चलते दिनों रात कृष्ण है
भटकूं ज़रा तो, लेते थाम हाथ कृष्ण हैं
आज़ाद को बरबाद, बहुत करना चाहते
कोई मेरा क्या करले, मेरे साथ कृष्ण है
कवि आजाद मंडौरी