यूं भी तेरी उलफत का …..
यूं भी तेरी उलफत का सवाल रहता है ,
तेरी सूरत का ज़हन मे ख्याल रहता है |
गुमनाम गुजरता हूँ तन्हाई भरी राहों से ,
हो जाता है ज़िक्र तेरा बबाल रहता है |
जब पूछते हैं सारे क्यूँ खामोश है ‘लक्ष्मण’
मेरे दर्द मे भी बेदर्द तेरा कमाल रहता है |
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:- लक्ष्मण ‘बिजनौरी’
24-जुलाई-2022