यूं तो गम बहुत है नसीब में पर मोहब्बत क्यों नहीं लिखे
यूं तो गम बहुत है नसीब में पर
मोहब्बत क्यों नहीं लिखे
क्यों शिकायत करूंँ मैं प्रभु आपसे,
गम देने के लिए भी तो तुमने मुझे चुना ।
मोहब्बत नहीं लिखी भाग्य में तो क्या हुआ,
गम भी तो तुम्हीं ने दिए हैं मेरे नसीब में।
खुश हूँ, हर पल तुम्हें याद करता हूंँ,
अपने गमों को ही तुम्हारी मोहब्बत समझता हूंँ।
जिसने गम दिए हैं वही मोहब्बत देगा,
यही सोच अपने मन को समझा लेता हूँ।
तुम्हारे सिवा कोई नहीं इस दुनिया में मेरा,
खुशी मिले या गम सब अब नसीब मेरा।
एक ही विश्वास पर जीता हूंँ अब तो मैं,
एक दिन जरूर तुम मोहब्बत भी लिख दोगे।
एक ही फरियाद है अब तुमसे प्रभु,
खुशी हो या गम बस बिसार मत देना।
नीरजा शर्मा