यूं तुम मुझमें जज़्ब हो गए हो।
यूं तुम मुझमें जज़्ब हो गए हो।
आंखो से बनके अश्क बह रहे हो।।1।।
चांद मे भी यूं दाग है नुमायां।
क्यों हुस्न पर यूं रश्क कर रहे हो।।2।।
कबीरा गुनाह है ये दुनियां में।
जो लोगो के लिए दर्श बन रहे हो।।3।।
शायद तुमको भी इश्क हुआ।
आज तुम बहुत मस्त लग रहे हो।।4।।
ऐ हंसने वाले क्यों उदास हो।
तुम जिन्दगी से पस्त लग रहे हो।।5।।
क्यों शहर शहर भटकते हो।
बेकार में ही तुम खर्च हो रहे हो।।6।।
यूं तुमको शिफा ना मिलेगी।
तुम तो दिल के मर्ज लग रहे हो।।7।।
यूं पैसों की नुमाइश ना करो।
घमंड में तुम तो अर्श लग रहे हो।।8।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ