इतवार यूं मनाएं
ऐसे इतवार मनाएं हम
पापा का हाथ बटाएं हम
एक अकेले पर कितना काम
उन्हें नहीं मिलता है आराम
भाग- दौड़ में थक जाते हैं
ऑफिस में वो पक जाते हैं
गर्मी, सर्दी या हो बरसात
सहन करें सब मुश्किल हालात
रोजाना कुछ लेकर आते
हम पर ढेरों प्यार लुटाते
निभाते अपने सारे फ़र्ज़
सभी पर उनके ढेरों क़र्ज़
© अरशद रसूल