यूं आंखों ही आंखों में शरारत हो गई है,
यूं आंखों ही आंखों में शरारत हो गई है,
लगता है अब तुमसे मोहब्बत हो गई है!!
कुछ ख़फ़ा सी है मुझसे, तेरी निगाहें ग़ालिबन,
बोझल पलकों से आंसुओं की बरसात हो गई है!!
तुझे हर रोज़ बस दुआओं में मांगा करते हैं,
तुझे पाकर जैसे ख़ुदा की इबादत हो गई है!!
भीगी पलकों से निकले न जाने कितने अशआर मेरे,
है मामला रोज-ए-वाकया जैसे अखबारात हो गई है!!
सुब्ह-ओ-शाम तेरी चाहतों की अकीदत पर ज़िंदा हैं,
ये ज़वानी तेरे प्यार की हसरत में अलमस्त हो गई है!!
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”