यूँ ही …….
यूं ही……..
यह एक ख्वाब हैं , जो वर्षों से दबी हैं,
खोलने की कोशिश करूं तो आंसू आ जाते हैं।
समय नही हैं कि यकीन दिलाउं तुम्हें,
ये वही ख्वाब हैं जो टूटते चले जा रहे हैं।
यूं कहूं तो तन्हाई का आलम बहुत गहरी हैं,
कोई नही हैं जो सपनों में भी आ सके।
ये कोरे कागज के दरकते पन्ने भी अब कहने लगे हैं,
यूं कब तक लिखते रहोगे अपने खोखले सपनों को।
@TheChaand