यूँ ही
ज़र्रा ज़र्रा खिताब दे आया
ज़िन्दगी को जवाब दे आया
महक उठे ज़िन्दगी सबकी
प्रेम का वो सैलाब दे आया
एक मीठी सी हंसी लब पे रहे
ऐसा पुरनूर ख्वाब दे आया
लफ्ज़ हैं,शेर हैं,अश्यार भी हैं
इश्क़ की वो किताब दे आया
महकी है चांदनी खिज़ाओं में
इक हसीं माहताब दे आया
झीने पर्दे से सजी है महफ़िल
प्यार का वो हिज़ाब दे आया