यूँ ही कुछ भी
यूँ ही कुछ भी
यूँ ही कुछ भी तो नहीं होता,
हर बात का जीवन में सबब होता है,
श्रम करना पड़ता है जीवन में,
तभी सब कुछ हमें कसब होता है,
मेरा-मेरा करते गुजार दी जिंदगी सारी,
ऐसे ही दिलों से क्यूँ फासिल होता है,
कर्म के आधार पर तय होती मंजिल,
फ़क़त सोचने से क्या सब हासिल होता है,
अपने स्वेद से लिखना होगा भाग्य अपना,
बस ऐसे ही नहीं कोई भी सफ़ल होता है,
सोच-विचार कर रखना होगा हर पग तुझको,
अथक प्रयास से नहीं कोई विफल होता है।
5 जुलाई 2022 ;6:11 pm
✍स्वरचित
माधुरी शर्मा “मधुर”
अंबाला हरियाणा।