यूँ ही ऐसा ही बने रहो, बिन कहे सब कुछ कहते रहो…
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
सुनसान रास्ते पर
तेरा बैठे रहना
आते-जाते ख़ामोशी को देखना
और मुस्कुराते रहना
हँसी के बीच
खुद को पढ़ जमाने को जानना
सच में तेरा अंदाज ग़ज़ब का है
समझने और बूझने का
एहसास ग़ज़ब का है
यूँ ही ऐसा ही बने रहो
बिन कहे सब कुछ कहते रहो…