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11 Jul 2020 · 1 min read

यूँ सफ़र पूरा कहाँ होता है अब

यूँ सफ़र पूरा कहाँ होता है अब
बीच में ही दिल कहीं रोता है अब

हुस्न को फ़ुरसत कहाँ बेचैन हो
चैन तो आशिक़ फ़क़त खोता है अब

बाँटता फिरता था गुल दुनिया में जो
राह में काँटे वो क्यों बोता है अब

क्यूँ शिकायत थी मुझे तक़दीर से
खेल सारा उसका ही होता है अब

मौत का आना हुआ लाज़िम तो बस
दे उसे होने कि जो होता है अब

1 Comment · 229 Views
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