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16 Aug 2021 · 1 min read

हंसीन नज़ारे

मन के सांचे में ढलते ही जाना है
बहता पानी, जैसे अपना लगता है

ये हंसीन नज़ारे, जैसे मुस्काती हो
उनका यूँ शरमाना अच्छा लगता है
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 521 Views
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