हंसीन नज़ारे
मन के सांचे में ढलते ही जाना है
बहता पानी, जैसे अपना लगता है
ये हंसीन नज़ारे, जैसे मुस्काती हो
उनका यूँ शरमाना अच्छा लगता है
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा
मन के सांचे में ढलते ही जाना है
बहता पानी, जैसे अपना लगता है
ये हंसीन नज़ारे, जैसे मुस्काती हो
उनका यूँ शरमाना अच्छा लगता है
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा