यूँ नज़र मिलाया न करो
यूँ नज़र तुम मिलाया न करो
बिना बात के इतराया न करो,
है जमाने की परवाह तुमको
कभी हमारी भी खैर जताया तो करो,
माना हज़ार काम है तुमको
पर हम भी बेरोज़गार तो नहीं,
रोज़ भले न सही, कभी हमपे भी हक़ जताया तो करो
जानती हूँ फ़िक्र है तुम्हे भी हमारी
मगर बोल कर भी जताया तो करो
दिल में छुपा कर अगर रखते हो प्यार
होठों पे भी कभी लाया तो करो।
✍Rachana jha