यूँ तो बुलाया कई बार तूने।
यूँ तो बुलाया कई बार तूने, आज कदम तेरे शहर तक खींच लाये हैं,
अस्तित्व तेरा नदारद तो है मगर, ये रस्ते तेरे एहसासों से नहाये हैं।
एक तो ये कारवां है यादों का, जो रुकने को तैयार नहीं,
उसपर ये बेधड़क सी बारिश है, जो संग बादलों ने लाये हैं।
एक तरफ कदमों को रोकती सी, ये तेरे एहसासों की नमीं,
तो एक तरफ ज़हन ने तेरे ना होने के गवाहों को बिठाये हैं।
लाशें अरमानों की बिछ रखी है, इस जमीं पर हर तरफ़,
और आँखें मूंद कर मैंने भी, कदमों को अब बढ़ाये हैं।
एक धुंधली चाह है कि आसमां पे तेरा अक्स दिखेगा मुझे,
पर ये तन्हा चाँद हीं नहीं ये सितारे भी मेरी आस से घबराये हैं।
साँसें बोझिल सी हैं, पर आँखें अब भरती हैं कहाँ,
और दर्द ऐसा है जिसने मुस्कुराहटों पर पहरे कड़े लगाए हैं।
दो पल के इस ठहराव की कहानी है अनकही,
एक दरिया है जज्बातों का, जिसे वैरागी बन पार हम कर आये हैं।