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24 Nov 2024 · 1 min read

यूँ तो कोई ग़म नहीं

यूँ तो कोई ग़म नहीं
फ़िर भी मैं ख़ामोश रहता हूँ
तन्हाई रास आने लगी हैं
बरसों बरस दूर रहा ख़ुद से
बस,अब मैं ख़ुद के साथ रहता हूँ

हिमांशु Kulshrestha

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