यूँ तो कोई ग़म नहीं
यूँ तो कोई ग़म नहीं
फ़िर भी मैं ख़ामोश रहता हूँ
तन्हाई रास आने लगी हैं
बरसों बरस दूर रहा ख़ुद से
बस,अब मैं ख़ुद के साथ रहता हूँ
हिमांशु Kulshrestha
यूँ तो कोई ग़म नहीं
फ़िर भी मैं ख़ामोश रहता हूँ
तन्हाई रास आने लगी हैं
बरसों बरस दूर रहा ख़ुद से
बस,अब मैं ख़ुद के साथ रहता हूँ
हिमांशु Kulshrestha