यूँ खेलें होली …. ( कविता)
होली का उत्सव ज़रूर मनाये ,
ख़ुशी से मेहरबां !
मगर पर्यावरण का भी हुजुर!
कुछ रखिये ध्यान ।
प्राकृतिक रंगों का करें सदा उपयोग ,
परस्पर रंग लगाने में।
पानी का ना करे दुरूपयोग ,
क्या मिलता है कीचड़ फ़ैलाने में ।
गले मिले ,बधाई दें आप ,
सच्चे दिल से ,प्यार से ।
सारा वैमनस्य भुलाकर,
बड़ी मुहोबत से ।
रंगना है तो इस होली के रंग में ,
रंगे अपने प्यार से रिश्तों को l।
मगर कृपया मत रंगों नदियों ,
पेड़ों -पौधों और धरा को ।
अपनी मस्ती/ दीवानेपन में ,
कुछ शरारती लोग पशु-पक्षियों पर रंग डालते l।
वोह जाने क्यों इस ख़ुशी के अवसर पर ,
बेजुबानो को व्यर्थ ही कष्ट और पीड़ा पहुंचाते ।
इंसानों का है यह त्योहार ,
तो इंसानियत से इसे मनाये ।
इस पवित्र उत्सव में दोस्तों !
परस्पर प्यार और भाईचारे का सन्देश फैलाएं ।
कुछ इसी तरह खेलें हम होली ,
के जो मिसाल हो ।
एकता का रंग होली का ,
जिसे हर दामन रंग हो।
यूँ खेलें हम होली ….`