यूँ खुदा से तू राबता रखता
यूँ खुदा से तू राबता रखता
मान माँ बाप का सदा रखता
तू कमाकर दुआएं दुनिया में
दूर अपने से हर बला रखता
हार भी जीत में बदल जाती
पास तू अपने हौसला रखता
माना मजबूरियाँ थीं मिलने में
बातों का तो तू सिलसिला रखता
बात कह देता जो लगी दिल को
अपने दिल में न जलजला रखता
रास्ते तो खुले थे जाने के
आने का भी तो रास्ता रखता
तू नहीं ‘अर्चना’ करता कोई
दीप आशा का बस जला रखता
20-12-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद