Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Dec 2023 · 1 min read

युही बीत गया एक और साल

युही बीत गया एक और साल
पर सफर रहा है बेमिसाल
अपनो ने इतना सिख दिया
हो बुरा वक्त यदि अपना
जब पुरा ना हो कोई सपना
और बिखरे टूटे मन को लेकर
ढूढ़े जो सहारे इधर उधर
ना मिलेगा कोई भी अपना
सब जख़्म को और कुरेदेंगे
ठोकर देकर मजे लेंगे
पूछेंगे फिर तुम्हारा हाल?
युही बीत गया एक और साल. ……
यदि हो भावुक मानव जैसे
सबको लेकर चलना जैसे
हो साथ सहज संबंधो का
जब संकट का क्षण आएगा
पहचान तभी हो जायेगा
टूटेंगा सारा भरम जाल
युही बीत गया एक और साल. ………

300 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बेटी का घर बसने देती ही नहीं मां,
बेटी का घर बसने देती ही नहीं मां,
Ajit Kumar "Karn"
"अपनी शक्तियों का संचय जीवन निर्माण की सही दिशा में और स्वतं
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
संबंध
संबंध
Shashi Mahajan
सभी कहने को अपने हैं मगर फिर भी अकेला हूँ।
सभी कहने को अपने हैं मगर फिर भी अकेला हूँ।
Sunil Gupta
देकर घाव मरहम लगाना जरूरी है क्या
देकर घाव मरहम लगाना जरूरी है क्या
Gouri tiwari
खिचड़ी यदि बर्तन पके,ठीक करे बीमार । प्यासा की कुण्डलिया
खिचड़ी यदि बर्तन पके,ठीक करे बीमार । प्यासा की कुण्डलिया
Vijay kumar Pandey
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
मैं अक्सर देखता हूं कि लोग बड़े-बड़े मंच में इस प्रकार के बय
Bindesh kumar jha
॰॰॰॰॰॰यू॰पी की सैर॰॰॰॰॰॰
॰॰॰॰॰॰यू॰पी की सैर॰॰॰॰॰॰
Dr. Vaishali Verma
कोई दवा दुआ नहीं कोई जाम लिया है
कोई दवा दुआ नहीं कोई जाम लिया है
हरवंश हृदय
अमीरी गरीबी
अमीरी गरीबी
Pakhi Jain
हमारे पास हार मानने के सभी कारण थे, लेकिन फिर भी हमने एक-दूस
हमारे पास हार मानने के सभी कारण थे, लेकिन फिर भी हमने एक-दूस
पूर्वार्थ
मेरे ख्वाब ।
मेरे ख्वाब ।
Sonit Parjapati
आईना
आईना
Pushpa Tiwari
"रहस्यमयी"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे आने तो दो
मुझे आने तो दो
Satish Srijan
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
Phool gufran
आक्रोश तेरे प्रेम का
आक्रोश तेरे प्रेम का
भरत कुमार सोलंकी
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
Jitendra kumar
सवेदना
सवेदना
Harminder Kaur
पुरानी खंडहरों के वो नए लिबास अब रात भर जगाते हैं,
पुरानी खंडहरों के वो नए लिबास अब रात भर जगाते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
बुढ़ापा अति दुखदाई (हास्य कुंडलिया)
बुढ़ापा अति दुखदाई (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
शुभ दिवस
शुभ दिवस
*प्रणय*
आखरी है खतरे की घंटी, जीवन का सत्य समझ जाओ
आखरी है खतरे की घंटी, जीवन का सत्य समझ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
मैं हूँ के मैं अब खुद अपने ही दस्तरस में नहीं हूँ
'अशांत' शेखर
धरती के कण कण में श्री राम लिखूँ
धरती के कण कण में श्री राम लिखूँ
हरीश पटेल ' हर'
पत्थर दिल का एतबार न कीजिए
पत्थर दिल का एतबार न कीजिए
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
कल में जीवन आस है ,
कल में जीवन आस है ,
sushil sarna
माँ ऐसा वर ढूंँढना
माँ ऐसा वर ढूंँढना
Pratibha Pandey
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
4685.*पूर्णिका*
4685.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...