युवा हँसी
खिलखिलाकर तेरा वो सच में हँसना
औरों को घायल कर देना ।
मुड़ कर देखना, उसमें चाहत का होना
औरों को भावनाओं से भर देना।
सच में धरातल पर खुशी जाहिर कर देना।
तेरा खिलखिला कर हँसना।
रौनकें जहां भर देती हैं।
जुनून कोई रहें तेरा वो उखड़ना
एक ही साँस में तेरा वो कहना
औरों को घायल कर देना
खिलखिलाकर तेरा वो मचलना
अलहड़ पन का वो बोली
वो मौजूदा (टोली ) हमजोली
रौनकें जहां भर देती है।
खिलखिला कर तेरा वो सच में हँसना
औरों को घायल कर देना_ डॉ सीमा कुमारी बिहार भागलपुर
दिनांक- 6-4-022की मौलिक
एवं स्वरचित रचना जिसे आज प्रकाशित
कर रही हूं। कृपया रचना के प्रोत्साहित करें अपना कामेंट , लाईक दे कर प्लीज ।