[[[ युद्ध ]]]
युद्ध // दिनेश एल० “जैहिंद”
धांय.. धांय… धांय ….. , तड़… तड़…. तड़…. , धडाम…
धड़ाम…. की कर्कश आवाजों के साथ पहाडियों व जंगली मैदानों का वातावरण गूँज उठा था | दोनों तरफ से दनादन गोलियों और हत्थगोलों की बौछार रुकने का नाम नहीं ले रही थी |
दोनों तरफ के लड़ाकू जवान पूरे जोश में थे | उनका जोश देखते ही बनता था | दो देशों के जवान आमने सामने ! गन, मशीन गन, गोले व हत्थगोले लगातार आग उगल रहे थे |
कोई एक दूसरे से कमजोर साबित होना नहीं चाहता था |
सबकी जुबानों से गालियाँ और हथियारों से गोलियाँ अना धुन निकल रही थी |
तड़… तड़… तड़….. !! इस बार निशाना सही लगा था भारतीय सैनिक बलवीर सिंह की मशीन गन का और एक साथ दुश्मन देश के तीन जवान सेकेंडों में धराशायी हो गए | बलवीर सिंह भारत माता की जय बोलते हुए चिल्ला उठा और उसके साथ के सभी वीर सिपाही जोश-खरोश के साथ दुश्मन देश की सीमा में घुस पड़े और फिर क्या था दुश्मनों की एक बड़ी टुकड़ी को मार-मार कर गिराते रहे और खदेड़ते रहे | देखते ही देखते दुश्मन देश के पन्द्रह-बीस जवानों को भारतीय वीर जवानों ने धराशायी कर डाला और सब भारत माता की जय की उद्धघोषणा करते रहे |
उधर आसमान में लगातार आग उगलते लड़ाकू विमान मँडरा रहे थे | स्स्सुईं… के साथ एक तरफ से आते थे और दूसरी तरफ निकल जाते थे | इतनी ही देर में वे दुश्मन के कई ठिकानों पर अग्नि वर्षा करके पलक झपकते दुश्मन की तोपों की पहुँच से बाहर कहीं और निकल जाते थे |
विमानों से निकले तेज गर्जन से नभ में थड़थड़ाहट व गोलों की आग से आसमान धुआँ- धुआँ हो चला था | इसी दरम्यान एक विमान से लगातार कई गोले दुश्मनों की एक गुप्त अड्डे पर गिरे और गिरते ही रहे | फिर तो भागकर पनाह लिए हुए दसियों जमीनी दुश्मन सैनिकों के पर्चे-पर्चे उड़ गये | दुश्मनों के बीच हाहाकार व अफरा-तफरी मच गई | वे दहशत व आतंक से चारों तरफ भागने रहे | कोई ठिकाना नहीं बचा अब उनके छुपने का ! भागते दुश्मन सैनिक भारतीय सैनिकों का शिकार होते रहे, मौत के घाट उतरते रहे, …. उतरते रहे |
मैदान खाली ! भारतीय वीरों के हुँकार के आगे उनकी एक न चली, चारों खाने चित्त ! घंटों हमारे वीर सैनिक हुँकार भरते रहे, विजय पताका लहराते रहे |
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दिनेश एल० “जैहिंद”
18. 02. 2019