युद्ध
युद्ध के होते
क्या दो ही पहलू
जीत और हार
इसके दरमियां होकर
जो गुजरता है
वह असंख्य
असह्य
दुखों से गुजरता
पीड़ा का समंदर
अनाथ होते बच्चे
वेदनाओं का दस्तावेज
बनती औरतें
उजङे घरों में बसती
इंसानियत
युद्ध सिर्फ
जीत और हार नहीं होता
उन्नति का पथ
अवरुद्ध करता
समय के पैरों में
बेड़ियों सा
जीत के उन्माद में
वहशी होते
दानवी पिशाच
सुंदर सपनों को
अंधेरों से घेरता
चीखता चिल्लाता
करुणा के अंत पर
जो अट्टहास करता
वही तो युद्ध होता
युद्ध के नहीं होते
सिर्फ दो पहलू
जीत और हार
शांति जीवन का
स्थाई भाव है
इसे समझने तक
जो युद्ध लङे
या हम पर आ पङे
पर मानवता वहीं
विकलांग हो जाती
इसीलिए
बस इसीलिए
मन में युद्ध
न होने की प्रार्थना रखें
नहीं होते
युद्ध के दो पहलू
जीत और हार
जीत और हार