युद्ध
युद्ध देता है चुनौती मानवता को
विध्वंस और लील लेता है कई जानें
पर कहीं,किसी शहर में
कोई तो चाहता होगा इसे
नहीं तो क्यों?
कंकरीट को पसंद करें
हरे भरे पेड़ों के शहरों वाले
नहीं पसंद उन्हें लाल रंग लहू का
वे रंग बिरंगे फूलों वाले
मधुर धुनों और स्वर लहरियों वाले
कहाँ पसंद है उन्हें बम गोले
विस्फोटक धमालें
दिल में प्यार और सम्मान रखने वाले
कहाँ चल सकते हैं
यह क्रूरता की चालें
पर कहीं,
कोई ना कोई तो चाहता होगा इसे
जिसे प्यार है अंधेरों से
पसंद नहीं उजाले
मुंह चढ़ाता मानवता को
देता चुनौती कदम कदम
बलशाली होने का दंभ पाले
पर उठेंगे एक दिन
चैन से सोने वाले
तब होगा बंदूक की नली में गुलाब
और आसमान में सफेद पंछी मतवाले
फिर से मुस्कुराएगी मानवता
और मुस्कुराएंगे शांति वाले