युद्ध से भय कायरता है!
धर्मयुद्ध है समक्ष खड़ा,
मौन पड़े क्यूँ वीर खड़े।
आभूषण हो गयी कायरता,
अब युद्ध यहाँ कौन लड़े।।
क्या सीखा क्या पाया हमने,
इतिहास दोहराया अनगिन बार।
याचक हो जाओ प्राण मांग लो,
मत उठाओ तुम हथियार।।
जो होना होगा होगा ही,
इस मन्त्र का तुम जाप करो।
अप्रिय को भी देख मौन रहो,
मौन रहकर भी पाप करो।।
अब भी है कुछ समय शेष,
खुद में कुछ बदलाव करो।
कायरता त्यागो शस्त्र उठाओ,
अन्याय पर तुम न्याय करो।।
कोई तेरे लिए नहीं लड़ेगा,
तुझे खुद शस्त्र उठाना होगा।
बन जा तू काल का काल,
शत्रु को यमलोक पहुँचाना होगा।।
कण कण गाये युग की गाथा,
काल भी वीरों का यशगान करे।
इस माटी को माता कहकर,
कितने हैं निज प्राण तजे।।
आशीष दुबे”ब्राह्मण वंशज”