युद्ध सिर्फ प्रश्न खड़ा करता है। [भाग ७]
युद्ध में खो चुकी पत्नी के
बेजान शरीर से वह लिपट-
लिपट रो रहा था!
उसके आँखो से आँसु का
धारा बह रहा था!
अब किसके साथ मै
अपना जीवन बताऊँगी,
वह मन ही मन सोच रहा था!
जीवन का सुख – दुख अब मै
किसके साथ बाटूँगा।
किसको अब मै अपने
दिल का हाल बताऊँगा ।
कौन सुनेगा मेरी हर बात
कौन हमें रोकेगा-टोकेगा!
किसके बातों पर मै अब
गुस्सा या प्यार जताऊँगा!
इस युद्ध ने लगता जैसे
मेरा अंग ही काट दिया है,
और मेरे दिल पर इसने
एक गहरा घाव छोड़ दिया है!
अब जो वह मेरे पास
रह ही नही गई है!
अब किसके लिए मैं
मेहनत कर कमाऊँगा!
आखिर इस धरती पर अब
मै जी कर क्या करूगाँ!
बार- बार उसके मन मे
यह प्रश्न आ रहा था!
~अनामिका