Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Mar 2022 · 2 min read

युद्ध (संक्षिप्त लेख)

11-3-2022
संक्षिप्त लेख

सभ्यता का इतिहास खंगाल कर देखें तो विनाश की कहानियाँ भी दिखाई देंगी ।जिनमें प्रकृति प्रकोप के साथ युद्ध के विध्वंसकारी दस्तावेज भी शामिल है। कॉलेज में पढ़ी थी ‘रोम वाज नॉट बुल्ट ए डे”
हिरोशिमा -नागाशाकी का विनाश । हर युद्ध में जन धन के साथ मानवीय सभ्यता,कला,संस्कृति ,शहरों की बसाहट के साथ वास्तु शिल्प,शिलालेख,अध्यात्मिक अभिलेख …..के साथ साथ अन्न भंडारण और न जाने क्या क्या इस जुनून में ध्वस्त हो जाता है। पर राज्य करने की मदांधता राजा,पीठाधीश या कहें सत्तारूढ़ इंसान को खूंखार बना देती है जिसके चलते सभी मानवीय भावनाओं,संवेदनाओं,रिश्तों,नातों,परिवार ……सभी को नज़र अंदाज कर बस रक्त की नदियाँ बहाने और नरसंहार की सोच काबिज रह जाती है।
उजड़े घर ,बिखरे असबाब, मिटे निशान ,उड़ती राख ,जलते शहर के बीच कहाँ कुछ बच पाता है जिसे सहेजा जा सके।
गर्भवती स्त्रियाँ,अबोध बच्चे, शारीरिक अशक्तता के चलते वयोवृद्ध अपनी जान बचाने पैदल इधर उधर भागते,छिपते ,आश्रय ढूंढ़ते …बेनूर आँखों में बस अजीब सा दर्द बह कर आता ….। क्या कभी किसी ने इस पीड़ा को महसूस किया ??

आज तृतीय विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ा विश्व ,युक्रेन और रूस के युद्ध से दहशत में है। दिन-रात टेलीविजन, समाचारपत्रों और ब्रेकिंग न्यूज में उलझे जनमानस के अंतस में कितना खौफ ,कितना डर ,आतंक समाया होगा ,कोई बता सकता है ??

युद्ध के बाद बंजर हुई भूमि पर कब्जा करने में क्या महानता है? युद्ध करो तो मानव मन को जीतने के लिये मानवीयता के दायरे में तो करो।
जनता की पूरी जिंदगी भर कीखून-पसीने ,मेहनत की कमाई को सेकंड में नष्ट करना या स्वयं छोड़कर जाना कितना दर्दनाक हो सकता है यह भुक्तभोगी ही जान सकता है।
टेलीविजन पर दिखते वो मासूम चेहरे जो अपने घर को छोड़ जाने को मजबूर है ,दिल को रोने पर मजबूर कर देते हैं।
हे ईश्वर ,अगर तू कहीं है तो मानव सभ्यता को युद्ध की विभीषिका में नष्ट होने को बचा।
जैविक हथियार, रासायनिक हथियार ,एटम बम ,परमाणु बम किसी भी समस्या का हल नहीं होते। न देश हारते जीतते हैं न बारूद के ढ़ेर ।अगर कुछ हारती है तो बस इंसानियत, मानवता और जीतता है अहंकार ।

स्वरचित
मनोरमा जैन पाखी

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 314 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हाथों की लकीरों को हम किस्मत मानते हैं।
हाथों की लकीरों को हम किस्मत मानते हैं।
Neeraj Agarwal
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई  लिखता है
चाँद बदन पर ग़म-ए-जुदाई लिखता है
Shweta Soni
प्रकृति का विनाश
प्रकृति का विनाश
Sushil chauhan
3208.*पूर्णिका*
3208.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
!! निरीह !!
!! निरीह !!
Chunnu Lal Gupta
"बखान"
Dr. Kishan tandon kranti
गीत(सोन्ग)
गीत(सोन्ग)
Dushyant Kumar
खर्च हो रही है ज़िन्दगी।
खर्च हो रही है ज़िन्दगी।
Taj Mohammad
रूठे लफ़्ज़
रूठे लफ़्ज़
Alok Saxena
सावन के पर्व-त्योहार
सावन के पर्व-त्योहार
लक्ष्मी सिंह
बुंदेली दोहा -तर
बुंदेली दोहा -तर
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
काश ! ! !
काश ! ! !
Shaily
सफलता
सफलता
Raju Gajbhiye
Living life now feels like an unjust crime, Sentenced to a world without you for all time.
Living life now feels like an unjust crime, Sentenced to a world without you for all time.
Manisha Manjari
जय श्रीराम
जय श्रीराम
Indu Singh
!!  श्री गणेशाय् नम्ः  !!
!! श्री गणेशाय् नम्ः !!
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
मुक्तक7
मुक्तक7
Dr Archana Gupta
बाबुल का घर तू छोड़ चली
बाबुल का घर तू छोड़ चली
gurudeenverma198
**वसन्त का स्वागत है*
**वसन्त का स्वागत है*
Mohan Pandey
जो रिश्ते दिल में पला करते हैं
जो रिश्ते दिल में पला करते हैं
शेखर सिंह
जो हमने पूछा कि...
जो हमने पूछा कि...
Anis Shah
*बालरूप श्रीराम (कुंडलिया)*
*बालरूप श्रीराम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मौत का डर
मौत का डर
अनिल "आदर्श"
मुझसा फ़कीर कोई ना हुआ,
मुझसा फ़कीर कोई ना हुआ,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जाग गया है हिन्दुस्तान
जाग गया है हिन्दुस्तान
Bodhisatva kastooriya
संभव की हदें जानने के लिए
संभव की हदें जानने के लिए
Dheerja Sharma
■
■ "अ" से "ज्ञ" के बीच सिमटी है दुनिया की प्रत्येक भाषा। 😊
*Author प्रणय प्रभात*
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
ये दिल उनपे हम भी तो हारे हुए हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
जीवन और रंग
जीवन और रंग
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आओ सजन प्यारे
आओ सजन प्यारे
Pratibha Pandey
Loading...