“युद्ध” (मनहरण घनाक्षरी)
🙏मंच को मेरा नमन🙏
दिनाँक -29.04.2022
दिन -शुक्रवार
विषय- युद्ध
विधा– मनहरण घनाक्षरी
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शहर शहर ध्वस्त,
जन जीव सब त्रस्त,
युद्ध मार झेल रहे,
बन्द होना चाहिए।
हार रही भुजा अष्ट,
धन जन सब नष्ट,
युद्ध ज्वाला खेल रहे,
धर्म बुद्धि चाहिए।
पल पल दर्द कष्ट,
छल युद्ध मति भ्रष्ट,
अंह भाव तोल रहे,
मानवता चाहिए।
विश्व मेल हुआ अस्त,
शक्ति निज बल मस्त,
युद्ध हास्य मान रहे,
ज्ञान गुण चाहिए।
शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश 🙏