युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए
विषय….. युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए
दिनांक….24/05/2021
विधा…… कविता
===== युद्ध नहीं बुद्ध
तुम बुद्ध थे – तुम शुद्ध थे
तुम न्याय थे- परिचाय थे
तुम प्रेम थे – प्रेरणा थे
तुम ज्ञान थे -विज्ञान थे
तुम सत्य थे -तुम शांत थे
तुम अहिंसा थे- बलवान थे
…………मगर लोभी नहीं थे ।
तभी तो छोड़ दिया…….
इतना बड़ा राजपाट सत्य की खोज और ज्ञान की तलाश में,
……… नहीं किया तनिक भी संकोच सुंदर पत्नी और चंचल बेटे का।
…….. क्योंकि तुम्हें करना था— मानव कल्याण
लिखना था —–नया इतिहास
जिसके लिए आपने सहा भी था
……….खूब परिहास
बहुजन हिताय- बहुजन सुखाय
जैसा आंदोलन आप ही चला सकते थे ।
……..और लोभी, लालची, दुःखी, हताश, अत्याचारी को आप ही अंगुलिमाल से बना सकते थे बुद्ध भिक्षु
इस संदेश के साथ…….
अप्पो दीपो भव:
और आज आप पूरी दुनिया में बखैर रहे हैं …….अपनी छटा
और फैला रहे हैं…….
अपने अमूल्य ज्ञान का प्रकाश।
…….. जहां आप हैं …वहां पाप कैसे हो सकता है।
यदि फिर से ये दुनिया मान ले आपकी बात ,
तो पूरी दुनिया में —–
युद्ध नहीं बुद्ध ही दिखाई देंगे।
मगर सत्ता के ये लालची यह कैसे होने देंगे ?
मगर आप के अनुयाई भी कहां कम होंगे ,
आप ही के प्रकाश से अन्यायी अशोक ………महान सम्राट अशोक बनकर चमके थे ।
……….आज फिर से ये धरा आपको पुकार रही है आओगे ना ?
फिर से देने शांति और मानवता का संदेश
मैं भी कह रहा हूं …….
बुद्धम शरणम गच्छामि ।
धम्मम शरणम गच्छामि।।
संघम शरणम गच्छामि ।।।
नमो बुद्धाय ।
नमो बुद्धाय ।।
नमो बुद्धाय।।।
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जनकवि/बेखौफ शायर
डॉ.नरेश कुमार “सागर”
(इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित)
9149087291