युद्ध जीवित है
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युद्ध की तिक्तता के बाबजूद
युद्ध जीवित है.
सभ्यताओं के नष्ट हो जाने के
युद्ध
हमने लड़े हैं.
सभ्यताओं के संस्कार नष्ट हो गये
युद्ध फिर भी जीवित है.
युद्द ही तो पाप है
कहते हैं
जघन्य अपराध है.
पाप और अपराध कभी नहीं मरते.
भय जीवन का मृत्यु तक चलता है
लुढ़कते.
पंच तारांकित क्षुधा
होता नहीं कभी तृप्त.
मर जाने तक
मनुष्य का मन
रहता आया किया है कुपित.
अप्राप्य की आकुलता.
युद्ध है
तुला पर भारी पड़ने की
नकारात्मकता.
फिर भी युद्ध जीवित है.
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