युद्ध का रास्ता
युद्ध का रास्ता
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आक्रमण देता है युदध को रास्ता।
इतिहास पलटो,देखो,तुम्हें मेरा वास्ता।
भौतिक तो भौतिक
मानसिक तो मानसिक
युद्ध तो होता युद्ध ही है।
चाहे हारा हुआ हो युद्ध।
काश, युद्ध अपने आप में होता प्रबुद्ध।
या तो गाँधी होता अथवा बुद्ध।
विवेक और विचार हमें
युद्ध से शान्ति की ओर ले चले।
मानवीय मानसिकता हमें
हत्या से जीवन की ओर ले चले।
युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालना
युद्ध का ही कार्य है।
क्रोध प्रथम अहम् द्वितीय
बड़प्पन तृतीय मिथ्या गौरव
चतुर्थ धर्मांधता पंचम कुत्सित-प्रवृति,
युद्ध की श्रृँखला में
युद्ध को स्वतः ही किया गया स्वीकार्य है ।
आक्रमण युद्ध का है संकल्प।
मानव का न हो,ऐसी आकांक्षा है।
हमारे अस्तित्व का न हो युद्ध विकल्प।
आक्रमण करे अपनी उचित समीक्षा।
घृणा और वर्चस्व की कहानी
श्रेष्ठता की ग्रंथी से ग्रस्तता
अधीनता के सुखोपभोग की कामना
तुम्हारे आत्मसम्मान के हनन से उपजी प्रसन्नता का सुखभोग
हस्तगत सत्ता के दुरूपयोग की ललक
अत्याचार,अनाचार,अपमानित करने की प्रबलता
आतंक से भय उत्पन्न करने की अदम्य भावना
युद्ध की नींव है।
युद्ध रोकने विश्व को होना होगा कुटुम्ब।
एक मानवीय मन और उस मन का सारा प्रतिबिम्ब।
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