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23 Aug 2022 · 1 min read

युद्ध का ग्यारहवाँ दिन था

युद्ध का ग्यारहवा दिन है
तबाही ही तबाही है
दुश्मनी ही दुश्मनी है
हर तरफ बम बरस रहे है
लोग खाने को तरस रहे है
ए आदम की औलाद
क्या समझ रहा है खुद को
तेरा वजूद चुटकीयों
मे मसल देगा खुदा ….
खत्म कर ये लडाई
बाज आ……..
सम्भल जा अब भी वक्त है…..
रोक अब इस लडाई को…
होश में आ………

Language: Hindi
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