या’ रब तेरे जहान के
चुभते हुए इस दिल में
सवालात कितने हैं ।
या”रब तेरे जहान के
निगहबान कितने हैं ।।
सोचोगे ग़र कभी तो
सोचा न जायेगा ।
इंसानों की इस भीड़ में
इंसान कितने हैं ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
चुभते हुए इस दिल में
सवालात कितने हैं ।
या”रब तेरे जहान के
निगहबान कितने हैं ।।
सोचोगे ग़र कभी तो
सोचा न जायेगा ।
इंसानों की इस भीड़ में
इंसान कितने हैं ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद