या खुदा हो करम औ इनायत रहे।
गज़ल
212……212…..212…..212
या खुदा हो करम औ इनायत रहे।
सात जन्मों तलक ये मुहब्बत रहे।
एक दूजे में बस प्रेम ही प्रेम हो,
भूल से भी न लब पे शिकायत रहे।
कोई भी हो परिस्थिति न रोके कभी,
धन व दौलत गरीबी निहायत रहे।
जन्म जब भी मिले बस तुम्हीं तुम मिलो,
जन्म जन्मों तलक ये रिवायत रहे।
बस यहीं आरजू प्रेमी बन के रहें,
जिंदगी भर न जब तक कयामत रहे।
…….✍️ प्रेमी