"" *माँ के चरणों में स्वर्ग* ""
कभी तो ख्वाब में आ जाओ सूकून बन के....
मैं ढूंढता हूं रातो - दिन कोई बशर मिले।
मुश्किलों में उम्मीद यूँ मुस्कराती है
ख़ुद के लिए लड़ना चाहते हैं
हम लहू आशिकी की नज़र कर देंगे
" मेरे जीवन का राज है राज "
चाँद यूँ ही नहीं छुपा होगा।
मैं रुक गया जो राह में तो मंजिल की गलती क्या?
तुमने अखबारों में पढ़ी है बेरोज़गारी को
इश्क़ एक दरिया है डूबने से डर नहीं लगता,
**बात बनते बनते बिगड़ गई**
*कहा चैत से फागुन ने, नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन (गीत)*
मेरी दुनिया उजाड़ कर मुझसे वो दूर जाने लगा