यार हम कैसे करें
यार हम कैसे करें।
तुम निभाओ दुश्मनी फिर प्यार हम कैसे करें
ज़िंदगी तूझ पे भरोसा यार हम कैसे करें
ख़ास है रिश्ता हमारे बीच इक उम्मीद का
पर तुझे इन हरकतों पे ख़्वार हम कैसे करें
मिन्नतें करके हज़ारों कुछ नहीं हासिल हुआ
तू बता दरख़्वास्त बारंबार हम कैसे करें
छल-कपट सीखा नहीं जादू हमें आता नहीं
ज़िन्दगी फिर आज दो के चार हम कैसे करें
जिसजगह बचपन बिताया खेलते हँसते हुए
बीच उस दहलीज़ के दीवार हम कैसे करें
____________________________✍️अश्वनी कुमार
ख़्वार = जलील, अपमानित
दरख़्वास्त = आवेदन, अपील