यारो _ आंखें भी तो बोलती है ___ गजल /गीतिका
ज़रूरी नहीं कि लब ही बोले।
“”यारो आंखें भी तो बोलती है””
बस जाता जो कोई इनकी गहराइयों में।
ले काया का साथ,
उसी के इर्द गिर्द डोलती है।।
“”यारो आंखें भी तो बोलती है।”””
अच्छा करे या कर गुजरे बुरा।
पहली दफा यही तो उन्हें टटोलती है।।
“””यारो आंखें भी तो बोलती है।””
आ जाए पसंद या नापसंद करदे।
जाकर दिल के अंदर यही तो बोलती है।।
“””यारो आंखें भी तो बोलती है।”””
सूचना तंत्र होता बड़ा मजबूत इनका।
करादे शत्रुता या फिर मिठास घोलती है।।
“”यारो आंखें भी तो बोलती है।””
बनती कभी दर्पण,कर देती समर्पण।
राज दिलो के यही तो खोलती है।।
यारो आंखें भी तो बोलती है।।
राजेश व्यास अनुनय