यारों का यार भगतसिंह
सभी यारों का एक यार भगतसिंह
खुशमिजाज और दिलदार भगतसिंह…
(१)
ज़िंदगी से कहीं ज़्यादा करता था
अपनी आज़ादी से प्यार भगतसिंह…
(२)
समझता था फांसी के फंदे को
मेहबूब की बांहों का हार भगतसिंह…
(३)
वह तो केवल एक आदम-ज़ाद था
ना पैगम्बर-ना अवतार भगतसिंह…
(४)
क्या लील सकता था उसे अंधेरा
एक दहकता हुआ अंगार भगतसिंह…
(५)
उन पागल तानाशाहों के दौर में
अवाम की था ललकार भगतसिंह…
(६)
भला तुमको कैसे समझ पाएंगे
ये मज़हब के ठेकेदार भगतसिंह…
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Shekhar Chandra Mitra
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