यारी
गुण अवगुण,
दोनों का हैं ये मेल।
कुंडली मिले बिना भी,
जीवन भर का हैं खेल।।
बंधन भी ऐसा,
जो कोई देख ना पाए।
चाहे कुछ भी करलो,
इस बंधन को कोई तोड़ ना पाए।।
बिना मिले भी,
वो हैं हर सुख दुःख में शामिल।
मेरे मौन को भी,
समझने में वो हैं काबिल।।
मुश्किल घडी में,
जब जब भी मैं हूँ घबराता।
पीछे हमेशा सिर्फ,
उसे ही हूँ पाता।।
ये ना हैं कोई 3G /4G /5G कनेक्शन,
जिसकी होती हैं डेली लिमिट और एक्सपायरी।
ये तो हैं सबसे ऊपर
लाइफटाइम की यारी ।।
डॉ. महेश कुमावत