“याद”
क्या बात है?
एक अरसे बाद याद किए हो।
ठुकराए थे बोलने की गुजारिश,
आज खुद ही फ़रियाद किए हो।
मतलब तो न रहा हमसे,
हम पे क्यों वक्त बर्बाद किए हो?
छोड़ गए गुलशन वीरान,
फिर कैसे आबाद किए हो?
न गुज़ार सके क्या वक्त किसी से,
जो फिर दर्खास्त किए हो?
आख़िर क्या बात है?
एक अरसे बाद याद किए हो….!
ओसमणी साहू ‘ओश’ रायपुर (छत्तीसगढ़)