याद शहीदों की जब आई
याद शहीदों की जब आई, आया आँखों में पानी।
हम एक पल भी न भूले, वीर शहीदों की क़ुर्बानी।।
याद शहीदों की जब आई…….
सन सत्तावन के रण का, मंगल ने बिगुल बजाया था।
जीते जी भूमि न दूंगी, रानी ने वचन निभाया था।।
मक्कार फिरंगी ने मगर, क्रांति को ग़दर बताया था।
भारत पे मिटने वालों का, गौरव गान गिराया था।।
धन्य थे वे वीर जिन्होंने, हिन्द का मान बढ़ाया था।
भारतवासी को आज़ादी का मतलब समझाया था।।
कोई याद उन्हें भी कर लो, भर लो आंखों में पानी।
हम एक पल भी न भूले…….
शेर भगत फाँसी चढ़ा तो, माँ शेर करोड़ों आये थे।
आज़ाद लगे न हाथ कभी, शत्रु को धूल चटाये थे।।
सरफ़रोश शायर बिस्मिल ने, गीत अनूठे गाये थे।
आज़ाद हिन्द की ख़ातिर, नेताजी फौज बनाये थे।।
‘करो-मरो’ के नारे से, गाँधी जी नभ पर छाये थे।
अंग्रेज़ों अब भारत छोड़ो, यह उद्घोष कराये थे।।
आज़ादी के मतवालों ने, हँस-हँसकर दी क़ुर्बानी।
याद शहीदों की जब आई…….