याद रखना मेरी यह बात।
मेरे बच्चों! बताती हूँ मैं,
एक पते की बात।
इस बात को अपने जीवन में,
तुम बाँधकर रख लो गांठ।
जीवन के किसी पड़ाव पर,
जब कभी तुम्हें लगने लगे
कुछ भी नही बचा है।
जीवन जीने का कोई
अब सार नही रह गया है।
लगने लगे जब कर लूं
अपने जीवन का मै अंत।
ऐसे में रखना तुम मेरी
एक बात को याद।
यह जीवन शुरू हुआ शून्य से,
शून्य ही है जीवन का आधार।
तुम भी अपने जीवन में
इस शून्य को बना लेना आधार।
इस शून्य रूपी आधार पर तुम
करना फिर से जीवन का आरंभ।
फिर देखना कैसे पाते हो तुम,
अपने जीवन में खुशियाँ अनंत।
अनामिका