याद में उसकी/मंदीप
याद में उसकी/मंदीप
याद में उसकी कतरा कतरा मर रहा हूँ,
प्यार में उसके लहूँ के आँसू पी रहा हूँ।
आग दिल में प्यार की ऐसी लगी,
उसी आग में आज दहक रहा हूँ।
बुजती नही आग लगी जो सीने में,
महखाने में जाम पर जाम पी रहा हूँ।
लगी “मंदीप” ये कैसी लत प्यार की,
याद में आज उसकी बहक रहा हूँ।
मंदीपसाई