याद पुरानी बातें आईं(गीत)
याद पुरानी बातें आईं(गीत)
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अंगीठी पर हाथ तापते
ठिठुर-ठिठुर कर रहे काँपते
सरदी की जब रातें आईं
याद पुरानी बातें आईं
एक कहानी रोज सुनाई
बाबा जी ने बनी – बनाई
पूरी मगर कहाँ हो पाईं
याद पुरानी बातें आई
लकड़ी गीली ,फूँक हमारी
चूल्हा जलना कितना भारी
आग जली ,सौगातें आईं
याद पुरानी बातें आईं
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451