याद तेरी
याद तेरी रह रह कर मुझकों बहुत सताती है,
गुजरे हुए तेरे साथ सनम पल पल मुझे रुलाती है,
कैसा है तक़दीर मेरा जो तुमसे बिछुड़ गए,
मर न सके तेरे संग सनम हम तो अकेले हुए,
कितना तुझको याद कर्म कैसे तुझे बताऊं,
चैन नही अब मेरे मन को मैं तो मर जाऊं,
मौत मुझको ले जाये संग काश वो दिन आये,
एहसान मानूँगा मौत तेरा सनम से जो मिलाये,
रब तू है सारे जग का मालिक सुन ले मेरी अर्जी,
तू लौटा दे सनम को मेरे नही तो समझूं तू है फर्जी,
इस दुनिया में उसके सिवा कोई न था अपना,
उसे लौटा या मुझे बुला ले पूरा कर मेरा सपना,
टूटे दिलो का दर्द सहते सहते मैं तो ऊब गया हूँ,
जब तक न दे मौत मुझे रब तुझको भूल गया हूँ,
सनम की यादे भूल न जाऊँ जख्म ताजा रखता हूँ,
इस दुनिया से दूर बहुत मैं तन्हा जीवन जीता हूँ,
मन्दिर-मस्जिदों गिरजाघर में मन्नत मांग के आया,
मौत तू मिला दे सनम से मेरे कफ़न लेके बुलाया,