याद तेरी फिर आई है
सावन का मौसम आया है,
घटा छाई है घनघोर गगन में।
बारिश बरस रही है रिमझिम ।
बादल अपनी मोती की बुँदे,
गिरा रहा है आँगन-आँगन ।
बादल को देखो धरती से है,
अपना प्यार जताने मे है मगन।
मोती जैसी बुँदो से अपने,
सजा रहा है धरती का दामन।
अपनी प्यार की बुँदों से वह,
धरती की प्यास बुझा रहा है ।
देखकर ऐसा मौसम सुहाना,
ओ मेरे साथिया,
आज याद तेरी फिर आई है।
सावन के इस शीतल हवा संग,
धरती आज लहरा रही है।
ओढ कर आज हरी चुनरियाँ,
बड़ी मन भावन लग रही है।
देखकर उसके इस मन भावन रूप को,
मेरा मन भी बहका जा रहा है।
देखकर ऐसा मौसम सुहाना
ओ मेरे साथियाँ,
आज याद तेरी फिर आई है।
धरती पर देखो आज साथिया,
चारों तरफ फूल खिल गए है।
हर एक उपवन फूलों से,
आज हरे-भरे हो गए हैं।
बादल को रिझाने के लिए धरती
आज कितनी सुंदर दिख रही है।
देखकर ऐसा मौसम सुहाना ,
ओ मेरे साथिया,
आज याद तेरी फिर आई है।
आसमान मे इन्द्रधनुष आज,
रंग-बिरंगी छटा बिखेर रहा है।
रंग-बिरंगी इस छटा से,
आसमान भी खुश दिख रहा है।
धरती भी सोंधी सी खुशबू,
चारों तरफ फैला रही है।
देखकर ऐसा मौसम सुहाना,
ओ मेरे साथिया,
आज याद तेरी फिर आई है।
देखो कोयल ने भी अपना,
प्यार का ताना छेड़ा है आज।
मन भावन मौसम को देखकर,
बड़ी मीठी बोल रही है आज।
देखकर आज मौसम सुहाना,
मोरनी नाच रही है मोर के संग।
मदहोश होकर आज,
देखकर ऐसा मौसम सुहाना ,
ओ मेरे साथिया,
आज याद तेरी फिर आई है।
देखकर इस सुहाने मौसम को,
दिल ने मेरा आज तेरा साथ मांगा है।
तेरे बाहों में लिपटकर उसने,
मौसम का आनंद चाहा है।
ऐसे में तेरा यहाँ होना,
बड़ा ही लाजिमी है।
कैसे समझाऊँ मैं इस दिल को,
जो आज मेरे कहने में नही है।
देखकर ऐसा मौसम सुहाना,
ओ मेरे साथिया,
आज याद तेरी फिर आई है।
अनामिका