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16 Oct 2021 · 1 min read

याद तुम्हारी आई है!

प्रिय गलियाँ तुम बिन सूनी हैं
किरणें कुछ सकुचाई हैं ।
मुँह ढाॅंपें बैठी है कोयल,
याद तुम्हारी आई है ।

पाजेब की रुनझुन रुनझुन
आंगन ने है सुनी नहीं
कल्पनाओं ने सपनों की
झिलमिल सी चादर बुनी नहीं

जुगनू संग में ले आई है
निशा ने अगन बढ़ाई है ।
लाल महावर सधे कदम की
करे प्रतीक्षा देहरी है ।

स्मित अधरों से रूठी है
हिचकी लिए दोपहरी है ।
संध्या भरे कदम से पहुँची
स्मृतियाँ संग लाई है ।

प्राण प्रिये को छोड़ के कैसे
दिवस तुम्हारे बीते हैं
गुंजित करते थे कुटिया जो
खग भी मुझसे रूठे हैं ।

चेहरा भीगा है शाखों का
तुलसी भी कुम्हलायी है ।

स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Comments · 208 Views

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