याद आयो पहलड़ो जमानो “
याद आयो पहलड़ो जमानो ”
सारे भाण भाई ध्यान लगाल्यो
गल्ली मिलकी बात करांगा
बूढ़ा बुजुर्गा धोरै सबनै सुणी जो
उण सारी बाता मैं हां भरांगा,
ये सारी ऊं टेम की बात सै
जद हाम टाबर होया करता
चबूतरा पर सारा जणा बैठकी
बुढलियां धोरै बात सुणा करदा,
ऊं टेम आपा सारा ए टाबर
भोला ढोला होया करदा
एक जने की बात सुणकी
सारा ए हास लिया करदा,
जद आपी खेलकी हार जांदा
नानी की कहानी सुणा करदा
वे भी आपने टेम की बताती
आपी साची मान लिया करदा,
उणकी सुनकी या सोचदा
इतणा थोड़ी टेम बदल गया
आज मीनू नै भी महसूस होया
बात तो सारी ठीक कहया करदा,
उनकी सुनी थोड़ी बाता नै
आज कलम तै लिखरी सूं
के के पहली होया करदा
थारे साथ बतलाण कररी सूं,
गामा मै बिजली कोनी होंदी
चांद कै चांदनै मै काम चलाता
दिन छिपण तै पहली तैयारी करकी
घर का सारा काम कर लेता,
कांच की शीशी नै बनाता लालटेन
ढक्कन मै मौकरो कर लेता
मटिया तेल घाल की शीशी मै
उसकी बाती आल्ली कर लेता,
अंधेरे मै हमनै रास्ता दिखाती
या ए म्हारी ट्यूब लाईट बन जाती
पढ़ाई करणीया भी कम ए होता
पढ़ता वे भी इसे चांदना मै पढ़ता,
रात नै लेट ताई गप्पा मारना आर
लेट ताई जागनो कोनी होता
दिन छिपे सारा काम करकी
तावला ए आपी सो जाया करता,
खुलै, नीलै आसमान कै नीचे
खाट घालकी सोया करता
रात नै चांद तारा नै देखता
आपै आप राजी हो जाया करता,
एसी कूलर जद होता कोनी
फेर भी सिली बाल लागा करती
पेड़ कै नीचे खाट घालकी
पानी छिड़क की सोया करता,
पेडां की पत्ती होले होले हाल्दी
मह कै चांद तारा दिख जाता
रात की हलवी आवाज आती
सुथरा सपना आया करता,
माटी तैं मुंह भरो पातो
जद आपी तड़के उठा करता
आंख मसलता मां धौरे भाजता
तातो तातो दूध पिया करता,
बापू आपा नै नाहण की कहतो
भुण्डा मूंह बणा लिया करता
भैंसा गैल खेल मैं नहांवागा
सोच की ए राजी हो लिया करता,
मोटर चलाकी कुए पर बैठता
होदी मैं गोता लगाया करता
माटी लिप्योड़ी गात नै आपीं
नोजल नीचे धो लिया करता,
ड्राई फ्रूट देखदा ए कोनी
चने भेकीं खा लिया करता
कोल्ड ड्रिंक को नाम ईबे सुनो
लस्सी तैं गर्मी मिटा लिया करता,
लंच डिनर न्यारा न्यारा कोनी होता
मां तड़के रोटी बनाकीं धरया करती
खेलदा कूदता आर चक्कर मारता
गेड़ी मार मार रोटी खा लिया करता,
स्वीट डिश आपणी पताशा होती
बुआ आवती जब लाया करती
ब्याह मंडतो किसेकै तो राजी होता
क्यूंकि जलेबी ब्याह मैं खाया करता,
आजकल का बालक तो न्यारा सै
तकनीकी का जानकर होरया सै
आपा तो सीधा साधा टाबर था
थापी गिंडी तैं खेल्या करता,
मोमजामै की पतंग बनाकी
आंधी मैं उड़ा लिया करता
पटाका की जगहां गज बजाता
रहिड़ो जलाकी चस बूझ बनाता,
आपणा तो खेल भी अद्भुत था
सारा दिन राजी रहया करता
याद आयो आज मीनू कै बचपन
पहलड़ा जमाना कितना खुबसूरत था।
Dr.Meenu Poonia