याद आये
मंजिल पर जब पहुँचे तो सफ़र की याद आये
रास्ते में जो बिछड़ गया उस हमसफ़र की याद आये
सुनकर उसका जिक्र में युं खड़ा हुआ अपनें दर से
जैसे किसी तवाएफ़ को अपनें घर की याद आये
मंजिल पर जब पहुँचे तो सफ़र की याद आये
रास्ते में जो बिछड़ गया उस हमसफ़र की याद आये
सुनकर उसका जिक्र में युं खड़ा हुआ अपनें दर से
जैसे किसी तवाएफ़ को अपनें घर की याद आये