याद आया मुझको बचपन मेरा….
– बारिश…
बारिश की बूंदे ने जब मुझको छेड़ा,
याद आया मुझको बचपन मेरा,
इधर उधर यूं भागा करते,
छुप छुप कर हम भीगा करते,
सुंदर सलोना सपना मेरा।
याद आया मुझको बचपन मेरा….
भीग भागकर जब घर आते हैं,
डरकर मम्मी से छिप जाते हैं,
धीरे-धीरे कदम बढ़ाते,
गलती से भीगे मम्मी ,
यह कहकर मुस्काते,
बचपन की वह बारिश,
सुंदर सपना सलोना मेरा।
याद आया मुझको बचपन मेरा…..
याद बड़ी मुझको आती ,
अब भी मुझको गुदगुदा जाती ,
मम्मी से कागज की नाव बनवाना,
फिर उसको बारिश में चलाना,
हमें देख मम्मी का मुस्कुराना,
याद आता है वह बचपन की बारिश का आना।
याद आया मुझको बचपन मेरा…..
बारिश के बंद होते इंद्रधनुष का निकलना ,
ऐसे चहक कर खुश होना,
मानो नई दुनिया का हो मिलना,
एक-एक कर सारे रंगों को गिनना,
वह बचपन की बारिश में धीरे-धीरे बूंदो का गिरना।
सुंदर सलोना सपना मेरा
याद आया मुझको बचपन मेरा…..
हरमिंदर कौर
अमरोहा ( यूपी )
मौलिक रचना